How to Gain Weight 🏋️♀️
वजन बढ़ाने के लिए कुछ मुख्य टिप्स हिंदी में निम्नलिखित हैं:
1. सही आहार: वजन बढ़ाने के लिए सही आहार खाना महत्वपूर्ण है। प्रोटीन युक्त भोजन, अंडे, मछली, दालें, दही, पनीर और सोया प्रोडक्ट्स को अपने आहार में शामिल करें। साथ ही अधिक मात्रा में संपूर्ण अनाज, फल, सब्जियां और द्रव्य पीने से आपको ज़रूरत के अनुसार एनर्जी मिलेगी।
2. बेहद ज़रूरी है पोषक तत्वों की भरपूर मात्रा का सेवन।
3. नियमित भोजन: वजन बढ़ाने के लिए नियमित भोजन खाना ज़रूरी है। अधिक अंतराल से भोजन करने से भूख संतुष्टि होती है और अधिक खाने की चाह नहीं होती है।
4. ताज़ा मीठा खाना: वजन बढ़ाने के लिए ताज़ा मीठा खाना एक अच्छा विकल्प है। ड्राई फ्रूट्स, मिष्ठान, जामुन, खजूर और किशमिश को अपने आहार में शामिल करें।
5. नियमित व्यायाम: वजन बढ़ाने के लिए नियमित व्यायाम करना महत्वपूर्ण है। यह आपके शरीर को मांसपेशियों को विकसित करने और अपेक्षित वजन बढ़ाने मे
वजन बढ़ाने के लिए कुछ और टिप्स – Other Tips for Weight Gain in Hindi
1. कैलोरी
शरीर का वजन काफी हद तक कैलोरी पर निर्भर करता है। जहां वजन कम करने के लिए कम कैलोरी की जरूरत होती है, वहीं वजन बढ़ाने के लिए अधिक मात्रा में कैलोरी लेनी चाहिए। अगर कोई व्यक्ति कम वजन से परेशान हैं, तो नियमित रूप से 2000-2200 कैलोरी ले सकते हैं।
क्या करें :
- अपनी डाइट में ब्रोकली, बंद गोभी, गाजर, पालक, कद्दू व बैंगन को शामिल करें।
- रेड मीट को भी भोजन में शामिल करने से फायदा हो सकता है। ध्यान रहे कि इसे जरूरत से ज्यादा न खाएं, वरना कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ सकता है।
- जो भी सलाद खाएं उस पर थोड़ा-सा जैतून का तेल जरूर डालें। इससे न सिर्फ सलाद का स्वाद बढ़ेगा, बल्कि पोषक तत्वों की मात्रा भी बढ़ जाएगी।
- प्रतिदिन डेयरी उत्पादों का सेवन करने से भी पर्याप्त मात्रा में कैलोरी मिल सकती है। कोशिश करें कि हमेशा वसा युक्त दूध व दही का सेवन करें।
कैसे है फायदेमंद :
कैलोरी का सेवन स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। कैलोरी का मतलब ऊर्जा से होता है। जब कोई कैलोरी युक्त भोजन का सेवन करता है, तो शरीर में आवश्यक ऊर्जा की आपूर्ति होती है, जिससे शरीर पहले से ज्यादा सक्रिय हो जाता है (1)।
नोट : भोजन में कैलोरी बढ़ाने के नाम पर फास्ट फूड न खाएं। इससे फायदा होने की जगह नुकसान हो सकता है।
2. भोजन की मात्रा बढ़ाएं
संतुलित मात्रा में खुराक बढ़ाकर भी वजन बढ़ा सकते हैं। इसके लिए दिनभर में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में तीन की जगह छह बार भोजन कर सकते हैं और हर बार कैलोरी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना फायदेमंद हो सकता है। एक बार में ही अधिक खाने से पाचन तंत्र खराब हो सकता है और वजन बढ़ने की जगह व्यक्ति अन्य बीमारियों का शिकार हो सकता है। थोड़ा-थोड़ा और बार-बार खाने से भोजन हजम भी होगा और उसका असर शरीर पर नजर भी आ सकता है।
क्या करें :
- नाश्ते में एक बाउल फल और ब्रेड पर बटर लगाकर खा सकते हैं। अगर किसी को सामान्य बटर पसंद नहीं, तो उसकी जगह पीनट बटर या फिर पनीर ले सकते हैं।
- स्नैक्स में सूखे मेवे, उबली सब्जियां या फिर पनीर सैंडविच खा सकते हैं।
- अगर किसी को इसके अलावा कुछ और भी पसंद है, तो उसका सेवन भी कर सकते हैं, लेकिन ध्यान रहे है कि वह हेल्दी होना चाहिए। साथ ही तैलीय तो बिल्कुल नहीं होना चाहिए।
कैसे है फायदेमंद :
थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ न कुछ खाते रहने से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है। इससे व्यक्ति हर समय एक्टिव रहता है और अपना काम पूरी क्षमता के साथ कर सकता है (2)। एक बार में ज्यादा खाने से शरीर में सुस्ती आ सकती है और पेट भी खराब हो सकता है।
3. अधिक प्रोटीन
वजन बढ़ाने के लिए कैलोरी के साथ-साथ प्रोटीन की भी जरूरत होती है। प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से शरीर को ऊर्जा मिलती है। इसके अलावा, मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं, क्योंकि कमजोर मांसपेशियां अधिक वजन को सहने में सक्षम नहीं होती हैं।
क्या करें :
- अंडा, मछली, चिकन, दाल, स्प्राउट्स व डेयरी उत्पादों को प्रोटीन का प्रमुख स्रोत माना गया है।
- टूना व मैकेरल जैसी मछलियों में अत्यधिक तेल पाया जाता है और इसके सेवन से वजन बढ़ाने में मदद मिलती है।
कैसे है फायदेमंद :
प्रोटीन में अमीनो एसिड पाया जाता है, जिससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इसलिए, प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ मांसपेशियों व वजन बढ़ाने के लिए जरूरी है (3)।
4. स्वस्थ वसा
वजन बढ़ाने के लिए सीमित मात्रा में वसा का सेवन करना भी जरूरी है। मांसपेशियों के विकास और टेस्टोस्टेरॉन जैसे हार्मोंस के लिए स्वस्थ वसा की जरूरत होती है। यह मेटाबॉलिक रेट को बढ़ाने में भी मदद कर सकता है, जिससे शरीर को खराब वसा को बाहर निकालने और अच्छे वसा को बनाए रखने में मदद मिल सकती है। पोलीअनसैचुरेट और मोनोअनसैचुरेट फैट को स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है। इस तरह का फैट मेवों, हरी पत्तेदार सब्जियों, अलसी के तेल, एवोकाडो तेल व अन्य बीजों के तेल से मिल सकता है। साथ ही बता दें कि अच्छी सेहत के लिए ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड की भी जरूरत होती है। इस लिहाज से अगर कोई वजन बढ़ाने के बारे में सोच रहा है, तो अच्छे वसा की अनदेखी न करे (4)।
5. वजन बढ़ाने वाले सप्लीमेंट्स
कुछ लोग जरूरत से ज्यादा कमजोर होते हैं। ऐसे लोगों को पौष्टिक खाद्य पदार्थों व नियमित व्यायाम करने के साथ-साथ वजन बढ़ाने वाले सप्लीमेंट्स लेने भी जरूरी होते हैं। इस तरह के सप्लीमेंट्स डॉक्टर की सलाह पर ही लेना चाहिए, क्योंकि एक डॉक्टर ही बेहतर तरीके से बता सकता है कि स्वास्थ्य के अनुसार किस तरह के सप्लीमेंट्स फायदेमंद रहेंगे।
क्या करें :
- बाजार में कई तरह के प्रोटीन शेक व सप्लीमेंट्स उपलब्ध हैं। इनका सेवन दूध या फिर स्मूदी में डालकर कर सकते हैं। सप्लीमेंट्स लेने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें, क्योंकि जरूरी नहीं कि सभी सप्लीमेंट्स हर किसी को सूट करें। संभव है कि कुछ सप्लीमेंट्स से स्वास्थ्य बेहतर होने की जगह खराब हो जाए।
कैसे है फायदेमंद :
बता दें कि दिनचर्या में सप्लीमेंट्स को शामिल करने से बॉडी मास इंडेक्स में वृद्धि हो सकती है। साथ ही मांसपेशियों का विकास भी हो सकता है (5)।
6. क्या खाएं
- फुल वसा युक्त दूध
- बीन्स, दाल व प्रोटीन युक्त अन्य पदार्थ
- फल व सब्जियां
- स्वस्थ फैट व ऑयल
- अनाज
- अच्छा व हेल्दी मीठा
7. योग
कई समस्याओं का एकमात्र इलाज योग है। वजन कम करने के लिए योग के तो फायदे हैं ही, इसके अलावा योग वजन बढ़ाने में भी मददगार हो सकता है। अगर कोई वेट गेन के लिए डाइट चार्ट के साथ-साथ योग को भी अपने रूटीन में शामिल करता है, तो अन्य के मुकाबले उसे अधिक लाभ हो सकता है। योग न सिर्फ तनाव को कम कर सकता है, बल्कि शरीर में ऊर्जा के स्तर को भी बेहतर कर सकता है। इसके अलावा, योग से पाचन तंत्र भी बेहतर होता है, जिससे भूख बढ़ सकती है। यहां हम कुछ योगासन बता रहे हैं, जिन्हें करने से वजन बढ़ सकता है।
- सर्वांगासन : यह योगासन उम्र व कद के अनुसार वजन को नियंत्रित करने में मदद करता है।
- पवनमुक्तासन : इसे करने से पाचन तंत्र अच्छा होता है, मेटाबॉलिज्म में सुधार होता है और गैस, एसिडिटी व कब्ज जैसी समस्याओं सेछुटकारा मिलता है। इन सभी समस्याओं के खत्म होने से भूख अच्छी लगती है।
- वज्रासन : इस योगासन से भी पाचन तंत्र बेहतर होता है। इसकी मदद से भोजन को हजम करना आसान हो सकता है। साथ ही पूरे शरीर खासकर पैर व कमर की मांसपेशियां मजबूत हो सकती हैं। इसे भोजन के बाद करीब 5 मिनट तक किया जा सकता है।
बने रहें हमारे साथ
8. वजन बढ़ाने के लिए व्यायाम
यहां बताए जा रहे व्यायाम को करने से मांसपेशियों का विकास अच्छी तरह होता है। ध्यान रहे कि ये सभी एक्सरसाइज एक योग्य प्रशिक्षक की देखरेख में ही करे
जानिए वजन कम होने के कारण – Reasons for Being Underweight in Hindi
महिला व पुरुष दोनों का सामान्य वजन वैज्ञानिक तौर पर उनकी उम्र व कद के अनुसार निर्धारित है। अगर किसी का वजन सामान्य से 15-20 प्रतिशत कम है, तो वैसे लोगों को अंडरवेट माना जाता है। इसे हम उदाहरण के साथ समझते हैं। मान लीजिए किसी महिला की उम्र 26-30 के बीच है और कद 148-151 सेमी के बीच है, तो वजन करीब 47 किलो होना चाहिए। अगर वजन 40 किलो (15%) या फिर 37 किलो (20%) रह जाता है, तो उसे कम वजनी कहा जाएगा। 47 वर्षीय महिला का बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) 20.6 किलो/स्कवेयर मीटर होना चाहिए। जब वजन कम होता है, तो बीएमआई भी घटने लगता है।
वहीं, अगर किसी पुरुष की उम्र 25-50 के बीच है और कद करीब 176 सेमी है, तो सामान्य वजन करीब 70 किलो होना चाहिए। अगर वजन 60 किलो (15%) और 57 किलो (20%) है, तो उसे अंडरवेट माना जाएगा (7)।
आइए, अब हम जान लेते हैं कि किन कारणों के चलते वजन कम होता है।
- हाइपरथायरायडिज्म : गले में तितली के आकार की ग्रंथि होती है, जिसे थायराइड कहते हैं। इससे निकलने वाले हार्मोंस शरीर के अंगों को ठीक प्रकार से संचालित करते हैं। हाइपरथायरायडिज्म में जरूरत से ज्यादा हार्मोंस का निर्माण होता है, जिससे मेटाबॉलिज्म स्तर खराब होने लगता है, ह्रदय ठीक से काम नहीं कर पाता और वजन भी कम होने लगता है (8)।
- कैंसर : कैंसर होने पर भी वजन कम होने लगता है। साथ ही थकावट, भूख में कमी व मतली जैसी समस्याएं हो सकती है (9)।
- टीबी : इस बीमारी की गिरफ्त में आने पर भी वजन तेजी से कम होता है (10)। साथ ही खांसी, अधिक थकावट व रात को पसीना आना आदि परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अगर टीबी के कारण किसी का वजन लगातार कम हो रहा है, तो तुरंत डॉक्टर को इस बारे में बताना चाहिए। डॉक्टर उसी के अनुसार उसका इलाज करेंगे।
- एचआईवी एड्स : जो लोग एचआईवी एड्स से ग्रसित होते हैं, उनका वजन भी धीरे-धीरे कम होने लगता है (11)। इसलिए, एक बार इसकी पुष्टि होने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार समय-समय पर दवाइयां खानी चाहिए। साथ अपनी जीवनशैली में जरूरी परिवर्तन करना चाहिए, ताकि स्वास्थ्य ठीक रहे।
- किडनी की बीमारी : अगर किसी को बार-बार लगे कि यूरिन आ रहा है, लेकिन रेस्ट रूम से आने के बाद भी यूरिन आने का अहसास हो, तो किडनी में खराबी का संकेत हो सकता है। इससे यूरिन को रोके रखने की क्षमता में कमी, मतली, उल्टी, थकावट, मुंह में अजीब-से स्वाद का अहसास, त्वचा पर रैशेज व खुजली और सांस में अमोनिया की गंध आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, भूख भी कम हो सकती है, जिससे वजन कम होने लगता है (12) (13)।
- दवाइयां : कुछ एंटीबायोटिक दवाइयां ऐसी होती हैं, जो भूख को कम करने का काम करती हैं (14)। भूख कम लगने पर व्यक्ति ठीक से भोजन नहीं कर पाता है, जिससे शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते। इसलिए, कोई भी दवा खाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
- भोजन में असंतुलन : जब भी कोई निश्चित समय पर और पौष्टिक तत्वों से भरपूर भोजन नहीं करता है, तो वह एनोरेक्सिया नर्वोसा व बुलिमिया नर्वोसा जैसी बीमारी का शिकार हो सकता है। ये दोनों भोजन संबंधी विकार हैं। इससे ग्रसित मरीज को वजन कम या ज्यादा होने का डर सताता रहता है। ऐसे लोग हमेशा अपने वजन को लेकर चिंतित रहते हैं और शरीर का आकार बिगड़ने के बारे में सोचते रहते हैं। एक प्रकार से कह सकते हैं कि यह मानसिक विकार से जुड़ी बीमारी भी है (15) (16)।
- एंजाइम में कमी : पाचन तंत्र व पोषक तत्वों को अवशोषित करने के लिए डाइजेस्टिव एंजाइम बेहद जरूरी हैं। इनकी मदद से ही शारीरिक विकास होता है। जब पेट की आंतरिक दीवारें डाइजेस्टिव एंजाइम को ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं, तो उससे वजन कम होने की आशंका बढ़ सकती है। फिलहाल, इसे लेकर अभी और सटीक शोध की आवश्यकता है।
- आनुवंशिक : कुछ हद तक पारिवारिक पृष्ठभूमि भी कम वजन का कारण हो सकती है। अगर किसी के परिवार में परिजनों का वजन कम रहा है, तो ऐसा अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसे भी इस समस्या से दो-चार होना पड़े।
- खराब लिवर : लिवर खराब होने पर शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते। इस कारण से भी वजन कम होने लगता है। इस समस्या से बचने के लिए शराब व सिगरेट से दूरी बनाए रखना चाहिए।
अभी बाकी है जानकारी
लेख के अंतिम भाग में हम बता रहे हैं कि वजन कम होने पर क्या-क्या स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
महिला व पुरुष दोनों का सामान्य वजन वैज्ञानिक तौर पर उनकी उम्र व कद के अनुसार निर्धारित है। अगर किसी का वजन सामान्य से 15-20 प्रतिशत कम है, तो वैसे लोगों को अंडरवेट माना जाता है। इसे हम उदाहरण के साथ समझते हैं। मान लीजिए किसी महिला की उम्र 26-30 के बीच है और कद 148-151 सेमी के बीच है, तो वजन करीब 47 किलो होना चाहिए। अगर वजन 40 किलो (15%) या फिर 37 किलो (20%) रह जाता है, तो उसे कम वजनी कहा जाएगा। 47 वर्षीय महिला का बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) 20.6 किलो/स्कवेयर मीटर होना चाहिए। जब वजन कम होता है, तो बीएमआई भी घटने लगता है।
वहीं, अगर किसी पुरुष की उम्र 25-50 के बीच है और कद करीब 176 सेमी है, तो सामान्य वजन करीब 70 किलो होना चाहिए। अगर वजन 60 किलो (15%) और 57 किलो (20%) है, तो उसे अंडरवेट माना जाएगा (7)।
आइए, अब हम जान लेते हैं कि किन कारणों के चलते वजन कम होता है।
- हाइपरथायरायडिज्म : गले में तितली के आकार की ग्रंथि होती है, जिसे थायराइड कहते हैं। इससे निकलने वाले हार्मोंस शरीर के अंगों को ठीक प्रकार से संचालित करते हैं। हाइपरथायरायडिज्म में जरूरत से ज्यादा हार्मोंस का निर्माण होता है, जिससे मेटाबॉलिज्म स्तर खराब होने लगता है, ह्रदय ठीक से काम नहीं कर पाता और वजन भी कम होने लगता है (8)।
- कैंसर : कैंसर होने पर भी वजन कम होने लगता है। साथ ही थकावट, भूख में कमी व मतली जैसी समस्याएं हो सकती है (9)।
- टीबी : इस बीमारी की गिरफ्त में आने पर भी वजन तेजी से कम होता है (10)। साथ ही खांसी, अधिक थकावट व रात को पसीना आना आदि परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। अगर टीबी के कारण किसी का वजन लगातार कम हो रहा है, तो तुरंत डॉक्टर को इस बारे में बताना चाहिए। डॉक्टर उसी के अनुसार उसका इलाज करेंगे।
- एचआईवी एड्स : जो लोग एचआईवी एड्स से ग्रसित होते हैं, उनका वजन भी धीरे-धीरे कम होने लगता है (11)। इसलिए, एक बार इसकी पुष्टि होने पर डॉक्टर की सलाह के अनुसार समय-समय पर दवाइयां खानी चाहिए। साथ अपनी जीवनशैली में जरूरी परिवर्तन करना चाहिए, ताकि स्वास्थ्य ठीक रहे।
- किडनी की बीमारी : अगर किसी को बार-बार लगे कि यूरिन आ रहा है, लेकिन रेस्ट रूम से आने के बाद भी यूरिन आने का अहसास हो, तो किडनी में खराबी का संकेत हो सकता है। इससे यूरिन को रोके रखने की क्षमता में कमी, मतली, उल्टी, थकावट, मुंह में अजीब-से स्वाद का अहसास, त्वचा पर रैशेज व खुजली और सांस में अमोनिया की गंध आने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, भूख भी कम हो सकती है, जिससे वजन कम होने लगता है (12) (13)।
- दवाइयां : कुछ एंटीबायोटिक दवाइयां ऐसी होती हैं, जो भूख को कम करने का काम करती हैं (14)। भूख कम लगने पर व्यक्ति ठीक से भोजन नहीं कर पाता है, जिससे शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते। इसलिए, कोई भी दवा खाने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।
- भोजन में असंतुलन : जब भी कोई निश्चित समय पर और पौष्टिक तत्वों से भरपूर भोजन नहीं करता है, तो वह एनोरेक्सिया नर्वोसा व बुलिमिया नर्वोसा जैसी बीमारी का शिकार हो सकता है। ये दोनों भोजन संबंधी विकार हैं। इससे ग्रसित मरीज को वजन कम या ज्यादा होने का डर सताता रहता है। ऐसे लोग हमेशा अपने वजन को लेकर चिंतित रहते हैं और शरीर का आकार बिगड़ने के बारे में सोचते रहते हैं। एक प्रकार से कह सकते हैं कि यह मानसिक विकार से जुड़ी बीमारी भी है (15) (16)।
- एंजाइम में कमी : पाचन तंत्र व पोषक तत्वों को अवशोषित करने के लिए डाइजेस्टिव एंजाइम बेहद जरूरी हैं। इनकी मदद से ही शारीरिक विकास होता है। जब पेट की आंतरिक दीवारें डाइजेस्टिव एंजाइम को ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं, तो उससे वजन कम होने की आशंका बढ़ सकती है। फिलहाल, इसे लेकर अभी और सटीक शोध की आवश्यकता है।
- आनुवंशिक : कुछ हद तक पारिवारिक पृष्ठभूमि भी कम वजन का कारण हो सकती है। अगर किसी के परिवार में परिजनों का वजन कम रहा है, तो ऐसा अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसे भी इस समस्या से दो-चार होना पड़े।
- खराब लिवर : लिवर खराब होने पर शरीर को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते। इस कारण से भी वजन कम होने लगता है। इस समस्या से बचने के लिए शराब व सिगरेट से दूरी बनाए रखना चाहिए।
अभी बाकी है जानकारी
लेख के अंतिम भाग में हम बता रहे हैं कि वजन कम होने पर क्या-क्या स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
वजन कम होने के कारण स्वास्थ्य समस्याएं – Health Problems Caused By Being Underweight in Hindi
- कमजोर प्रतिरोधक क्षमता : वजन कम होने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है। प्रतिरोधक क्षमता के ठीक से काम न करने पर व्यक्ति जल्द ही अन्य बीमारियों की चपेट में आ सकता है। मौसम में थोड़ा-सा बदलाव होते ही स्वास्थ्य पर असर नजर आने लगता है। इसके अलावा, कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियां होने का भी अंदेशा रहता है।
- एनीमिया : शरीर में आयरन की कमी से एनीमिया हो सकता है। ऐसे में कम वजन वाले व्यक्ति को अक्सर थकावट महसूस होती है। वह ठीक से भोजन नहीं कर पाता, जिस कारण उसे पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलते और शरीर में ऊर्जा की कमी रहती है। परिणामस्वरूप, शरीर में रक्त की मात्रा भी कम होने लगती है और एनीमिया जैसी बीमारी शरीर में घर कर लेती है।
- प्रजनन संबंधी समस्या : महिलाओं में कम वजन का असर प्रजनन क्षमता पर भी पड़ सकता है। इससे मासिक धर्म चक्र अनियमित हो जाता है और महिला के लिए गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है। अगर गर्भधारण कर भी ले, तो गर्भपात की आशंका रहती है। वहीं, कम वजन वाले पुरुषों को यौन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। संभोग के समय उन्हें दर्द हो सकता है, शुक्राणुओं की गुणवत्ता कम हो सकती है व इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसी समस्या हो सकती है।
- कमजोर हड्डियां : ऑस्टियोपोरोसिस के कारण महिलाओं व पुरुषों दोनों को कम वजन सामना करना पड़ सकता है। ऐसा हार्मोन में बदलाव और विटामिन-डी व कैल्शियम में कमी के कारण होता है। ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों से जुड़ी एक बीमारी है, जिसमें फ्रैक्चर होने का अंदेशा कई गुना बढ़ जाता है।
दुबले-पतले लोगों के लिए वजन बढ़ाना कोई मुश्किल भरा काम नहीं है। बस जरूरत है, तो अपना लक्ष्य निर्धारित कर उसे हासिल करने के लिए धैर्य रखने की। आप संतुलित व पौष्टिक भोजन का सेवन करें और अपने डॉक्टर की सलाह पर जरूरी सप्लीमेंट्स लेते रहें। इससे न सिर्फ आपका वजन बढ़ेगा, बल्कि आप स्वस्थ भी रहेंगे। साथ ही नियमित रूप से व्यायाम भी जरूर करें।
स्वस्थ रहें, खुश रहें।
- कमजोर प्रतिरोधक क्षमता : वजन कम होने से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है। प्रतिरोधक क्षमता के ठीक से काम न करने पर व्यक्ति जल्द ही अन्य बीमारियों की चपेट में आ सकता है। मौसम में थोड़ा-सा बदलाव होते ही स्वास्थ्य पर असर नजर आने लगता है। इसके अलावा, कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियां होने का भी अंदेशा रहता है।
- एनीमिया : शरीर में आयरन की कमी से एनीमिया हो सकता है। ऐसे में कम वजन वाले व्यक्ति को अक्सर थकावट महसूस होती है। वह ठीक से भोजन नहीं कर पाता, जिस कारण उसे पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिलते और शरीर में ऊर्जा की कमी रहती है। परिणामस्वरूप, शरीर में रक्त की मात्रा भी कम होने लगती है और एनीमिया जैसी बीमारी शरीर में घर कर लेती है।
- प्रजनन संबंधी समस्या : महिलाओं में कम वजन का असर प्रजनन क्षमता पर भी पड़ सकता है। इससे मासिक धर्म चक्र अनियमित हो जाता है और महिला के लिए गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है। अगर गर्भधारण कर भी ले, तो गर्भपात की आशंका रहती है। वहीं, कम वजन वाले पुरुषों को यौन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। संभोग के समय उन्हें दर्द हो सकता है, शुक्राणुओं की गुणवत्ता कम हो सकती है व इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसी समस्या हो सकती है।
- कमजोर हड्डियां : ऑस्टियोपोरोसिस के कारण महिलाओं व पुरुषों दोनों को कम वजन सामना करना पड़ सकता है। ऐसा हार्मोन में बदलाव और विटामिन-डी व कैल्शियम में कमी के कारण होता है। ऑस्टियोपोरोसिस हड्डियों से जुड़ी एक बीमारी है, जिसमें फ्रैक्चर होने का अंदेशा कई गुना बढ़ जाता है।
दुबले-पतले लोगों के लिए वजन बढ़ाना कोई मुश्किल भरा काम नहीं है। बस जरूरत है, तो अपना लक्ष्य निर्धारित कर उसे हासिल करने के लिए धैर्य रखने की। आप संतुलित व पौष्टिक भोजन का सेवन करें और अपने डॉक्टर की सलाह पर जरूरी सप्लीमेंट्स लेते रहें। इससे न सिर्फ आपका वजन बढ़ेगा, बल्कि आप स्वस्थ भी रहेंगे। साथ ही नियमित रूप से व्यायाम भी जरूर करें।
स्वस्थ रहें, खुश रहें।
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